आज हम सिखने वाले हैं Option Greek क्या होता हैं
जो की 80% बिगनर्स को नहीं पता होता है और यह बिल्कुल ऐसा ही है कि जैसा कि आप गाड़ी चलाना तो चाहते हैं लेकिन आपको गाड़ी स्टार्ट करना नहीं आता है तो मैं बात कर रहा हूं ऑप्शन ग्रीस की ऑप्शन ग्रीक्स क्या होते हैं यह समझाने से पहले मैं आपको एक एग्जांपल देता हूं ताकि आपको एक कॉन्सेप्ट समझना आसान हो जाए तो
मान लीजि ए कि अभी Banknifty 45000 पर है और आप Banknifty में ऑप्शन स्ट्रेट कर रहे हैं और आपको लगता है कि Banknifty यहां से ऊपर जाएगा तो अपने 45000 का ही कॉल ऑप्शन Buy कर लिया अब यह कॉल ऑप्शन आपने खरीदा है उसकी प्राइस ₹100 है तो इस केस में वह एसेट Banknifty है तो इसका मतलब जसै-जसै Banknifty बढ़ेगा वसै-वसै आपने यह जो ₹100 में Banknifty का 45000 का कॉल खरीदा है वह भी बढ़ेगा तो मान लेते हैं कि आपका जो एनालिसिस है वह सही निकलता है और Banknifty 45000 से बढ़कर 45100 पर चला जाता है तो इस केस में आपने जो ₹100 वाला ऑप्शन खरीदा था उसकी प्राइस भी बढ़कर ₹200 हो जानी चाहि ए थी बट ज्यादातर केस में आप देखेंगे की प्राइस ₹100 बढ़ाने की जगह सिर्फ ₹50 ही बढ़ता है और ऐसा क्यों होगा यह समझाने से पहले मैं आपको एक और एग्जांपल देता हूं तो फर्स्ट एग्जांपल की तरह ही मान लो कि अपने 45000 का Banknifty का कॉल ऑप्शन Buy किया है ₹100 की प्राइस में क्योंकि आपको लगता है कि Banknifty यहां से ऊपर जाएगा आपका एनालिसिस थोड़ा बहुत सही भी निकलता है और आपके Buy करने के 5 मिनट के बाद ही जो Banknifty है उसकी प्राइस
बढ़कर 45050 हो जाती है यानी Banknifty बढ़ता है तो इस केस में आपको थोड़ा बहुत प्रॉफि देखाने लगता
है लेकिन उसके थोड़ी देर बाद ही जो Banknifty है वह वापस 45000 पर आ जाता है तो इस केस में जो आपके ऑप्शन की वैल्यू है वह ₹100 ही होनी चाहिए थी यानी इस केस में आपको लॉस नहीं होना चाहिए था लेकिन अब उसकी वल्यूघट गई होगी और आपको अपने ट्रेड में लॉस नजर आ रहा होगा तो इस केस में जो Banknifty है वह वही का वही है लेकिन इसके बावजदू भी आपको अपने ट्रेड में लॉस नजर आ रहा है तो यहां पर अगर आप नए हैं तो आपके मन में क्वेश्चन आ रहा होगा कि ऐसा क्यों होता है और
इसका जवाब है ऑप्शन ग्रीक्स
अब यह जो ऑप्शन ग्रीक्स है इनका नाम सुन कर शायद आपको डर लग रहा होगा और आपको यह भी लग रहा होगा कि यार इन्हें समझना तो बहुत ज्यादा मश्किुश्किल होगा बट don't worry मैं अपनी पूरी कोशिश करूंगा
आपको ऑप्शन ग्रीस बहुत आसानी से समझ आ सके तो मार्केट में जितने भी ऑप्शन कांट्रैक्ट्स हमें देखने को
मिलते हैं वह मेली पांच ऑप्शन ग्रीक सेमि लेकर बने होते हैंऔर इन्हीं के बेसिस पर वह ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट रिटर्न
देते हैं और वह ऑप्शन ग्रीक्स है
Option Greeks (के 5 भाई है)
1, डेल्टा
2, थीटा
3, गामा
4, वेगा
5, रो
इस में जो रो है वह उतना ज्यादा इंपोर्टेंट नहीं है बट उसका भी थोड़ा सा ब्रीफ हम आपको देंगे तो सबसे पहले डल्टा को समझते हैं क्योंकि यह बहुत ही ज्यादा इंपोर्टेंट है और यह जो ऑप्शन है उसके मवूमेंट को डिसाइड करता है तो डल्टा को समझ नेके लिए
मान लीजिए कि
जो Banknifty है उसकी प्राइस अभी 50000 पर चल रहा है और
आपको लगता है कि Banknifty यहां से ऊपर जाएगा तो आप 50000 का ही कॉल ऑप्शन Buy कर लेते हैं
अगर Banknifty 50000 चल रहा है और आप 50000 का ही कॉल ऑप्शन Buy कर लेते हैं तो वह आप ATM Buy कर रहे हैं या OTM Buy कर रहे हैं या ITM बाय कर रहे हैं यह हमने?
डेल्टा क्या है?
bank nifty के 50000 का कॉल ऑप्शन बाय कर लिया है जिसकी जो प्राइस है वह ₹300 चल रही है और
उसका जो डेल्टा है वह 0.5 का है यहां पर मैं आपको बता दू , जो डेल्टा की वल्यू है वह 0 से लेकर 1 के बीच में
ट्रेवल करती है तो हम यह मानकर चल रहे हैं कि यह जो bank nifty का ऑप्शन है 50000 का कॉल ऑप्शन
इसका जो डेल्टा है वह मल्टीप्लाई की 0.5 यानी ₹50 का गेम देखने को मिलेगा मतलब bank nifty 100 पॉइंट बड़ा
है लेकिन उसका जो कॉल ऑप्शन है वह सिर्फ 50 पॉइंट बड़ा है क्योंकि यहां पर उसका जो डेल्टा है वह 0.5 का है
अगर डेल्टा 0.4 का होता तो bank nifty में सिर्फ 40 पॉइंट का मुंभ आता और अगर डेल्टा 0.6 का होता तो फिर
bank nifty में 60 पॉइंट का मुभ यहां पर मैं आपको कीलिएआर कर दु कि क्योंकि मैं आपको यहांपर डेल्टा
समझा रहा हूं तो हम यह मानकर चल रहे हैं कि जो बाकी ऑप्शन ग्रीक्स है वह कांस्टेंट है बट इन रियलिटी बाकी
ऑप्शन ग्रीक्स के चेंज होने से भी जो ऑप्शन है उसकी प्राइस में चेंज आता है
तो अब आपको समझ आ गया है कि डेल्टा किस तरीके से
ऑप्शन की प्राइस को अफेक्ट करता है।
Q। तो अब मेरा आपसे एक सवाल है
और वह सवाल यह है कि अगर मान लीजिए bank nifty में100 पॉइंट का मूभ आता है और जो ऑप्शन अपने बाय कि या है उसका जो डेल्टा है वह 0.25 का है तो इस केस में उसे पर्टिकुलर ऑप्शन में कितना चेंज आएगा या अपने कमेंट बॉक्स में बताना है ?
तो अभी तो हम कॉल ऑप्शन की बात कर रहे थे जिसमें
जो डेल्टा है वह जीरो सेवन के बीच में मवू करता है तो अब अगर पुट ऑप्शन की बात करें तो वहां पर डेल्टा जीरो
से वन नहीं बल्कि 0 से -1 के बीच में मवू करता है बट यहां पर भी डेल्टा बिल्कुल सेमी काम करता है लेकिन
क्योंकि पुट में हम पसै तब कमाते हैं जब मार्केट गिरता है इसलिए यहां पर जो डेल्टा की वल्यू है वह 0 से -1 के
बीच में मवू करती है तो चलिए इसका भी एक एग्जांपल लेते हैं
मान लेते हैं कि अभी bank nifty 50 हजार पर चल
रहा है और आपको लगता है कि bank nifty गिरेगा तो आपने bank nifty का 50000 का पुट ऑप्शन बाय कर लेते हैं
जिसकी जो प्राइस है वह ₹400 है और जिसका जो तीता है वह -0.54 का है तो इस केस में अगर मन को bank nifty
200 प्वाइंट गिरकर 49800 पर आ जाता है तो ऐसेमें जो आपके ऑप्शन की वल्यू है वह 200 X 0.54 यानी 108
रुपए बढ़ेगी तो जो पटु ऑप्शन जब अपने bank nifty। 50 हजार पर चल रहा था तब आपने₹400 में खरीदा था अब
उसकी जो प्राइस है जब bank nifty 49800 आ चुका है वह बढ़कर 508 रुपीस हो जाएगी और यही से चीज लॉस के
टाइम पर भी होगी मतलब अपने माना था कि bank nifty गिरेगा लेकिन इसके उल्टे अगर bank nifty बढ़ जाता है
तो वहां पर भी जितना bank nifty बड़ा है उसको आप। 0.54 से मल्टिप्लाई करेंगे तो आपको समझ आ जाएगा कि आपका जो ऑप्शन है उसकी वल्यू में कितना चेंज आएगा तो अब मुझे लगता है कि आपको डेल्टा अच्छे से
क्लियर हो गया होगा
थीटा क्या है?
सेकंडऑप्शन ग्रीक थीटा पर अब थीटा को समझाने से पहले
मैं आपको एक कहावत सुनना चाहता हूं जो शायद आपने सुनी होगी और यह जो ऑप्शंस है ना उसमें बिल्कुल
एक्यरुेटली काम करती है और वह कहावट है टाइम इस मणि तो अगर थीटा की बात करेंतो यह एक ऐसा ऑप्शन
ग्रीक है जो की टाइम डीके या फिर तीता डीके को डिनोट करता है आप इसे टी के नाम से याद रख सकते हैं टी बोले तो थीटा और टी बोले तो टाइम टूथीटा बेसिकली वह रेट है जिसके बेसिस पर ऑप्शंस पर टाइम डीके लगेगा आप
सभी जानते हैं कि जो टाइम है उसकी बहुत ज्यादा वल्यू है तो जब भी आप कोई ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट बाय करते हो तो
वह ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट आप जितने भी टाइम के लिए बाय करोगे आपको उसे टाइम की वल्यू सेलर को देनी पड़ती है
जिसने उसे कॉन्ट्रैक्ट को सेल किया है तो यहीं पर डे की टाइम वल्यू का जो रेट है ना उसको थीटा बोलते हैं
उसकी एक एक्सपायरी होती है
जो की जनरली वीकली और मथंली होती है तो जसैजसै एक ऑप्शन की एक्सपायरी पास आती है उसकी जो थीटा की
वल्यू है वह घटती जाती है और जब ऑप्शन एक्सपायर हो जाते हैं तब उसके थीटा की जो वल्यू है वह 0 हो
जाती है मैं जानता हूं कि आपको बहुत ज्यादा समझ नहीं आया होगा तो यह ग्रीक ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट पर कैसे काम
करता है चलिए इस एक एग्जांपल से समझ लेते हैं तो दोबारा से वही एग्जांपल लेलेते हैं
माना की जो bank nifty है
वह 50000 पर चल रहा है और आपको लगता है कि यहां से bank nifty बढ़ सकता है तो इसलिए आप 50000
का ही bank nifty का कॉल ऑप्शन बाय कर लेते हैं जिसकी जो प्राइस है वह ₹200 है और उसका जो थीटा है वह
20 का है अब इस केस में हम मानकर चल 50000 का कॉल ऑप्शन Buy किया है उसको आप आज सेल नहीं
करते हो उसको आप अगले दिन सेल करने जाते हो और आप वहां पर देखते हो कि Banknifty अभी भी 50000 पर ही है यानी कल जब आपने इसको Buy किया था तब भी Banknifty 50 हजार पर ही था और आज जब आप इसको सेल करने जा रहे हैं तब भी Banknifty 50000 पर ही है लेकिन इस केस में आप देखेंगे कि जो ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट है उसकी वल्यू अगले दिन ₹200 घटकर ₹180 हो चुकी होगी क्योंकि मैंने आपको बताया है कि बताता है कि एक दिन में जो ऑप्शन है उसकी वल्यू में कि तना चेंज आएगा तो क्योंकि थीटा ₹20 था तो एक दिन गजुरने के बाद जो ऑप्शन की वल्यू है वह ₹20 घाट जाएगी अगर मान लीजिए थीटा ₹30 होता तो इस केस में जो ऑप्शन की वल्यू है वह ₹200 से घटकर ₹170 हो जाती क्योंकि यहां पर जो थीटा था वह ₹30 था यहां पर भी क्लियर कर दु कि मैं आपको सिर्फ समझने के लिए यह मानकर चल रहा हूं कि जो बाकी ऑप्शन ग्रीक्स है वह कांस्टेंट है जबकि ऐसा जनरली नहीं होता है वह भी चेंज होते रहते हैं और इसके साथ ही मैं यहां पर आपको यह भी क्लियर कर दू कि ऐसा नहीं है कि देता अगर 20 है तो फिर वह 20 ही रहेगा हो सकता है कि वह नेक्स्ट डे बढ़कर 30 या 40 हो जाए तो ऐसे में नेक्स्ट डे जो ऑप्शन की प्राइस में चेंज आएगा वह ₹40 का होगा और एवं जसै-जसै एक ऑप्शन की एक्सपायरी पास आती है वसै-वसै उसका जो थीटा है वह बढ़ता जाता है और जिस दिन ऑप्शन की एक्सपायरी होती है उसे दिन थीटा बहुत ज्यादा होता है जिस वजह से उसे दिन थीटा डी के ज्यादा होता है और
ऑप्शंस की प्राइस में जो टाइम घटना की वजह से चेंज आता है वह बहुत ज्यादा होता है
यहां पर मैं आपका एक और कांफियुजन दूर कर देता हु और वह यह है कि मैं क्योंकि यहां पर आपको कहा है कि जो थीटा टाइप वह आपको बताता है कि एक दिन में टाइम घटना की वजह से जो ऑप्शन है उसकी प्राइस में कितना चेंज आता है तो इसका मतलब यह नहीं है कि ओह इंट्राडे में काम नहीं करता है आप जैसे ही ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट को Buy कर लेते हैं वैसे ही थीटा आपके अगेंस्ट में काम करना शरूु कर देता है और वसै ही जो ऑप्शन की वल्यू है वह टाइम बढ़ाने के साथ-साथ घटती चली जाती है तो अगर आप एक ऑप्शन बायर है यानी अपने ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट को Buy किया है तो इस केस में आपको थीटा पर ध्यान देना बहुत ज्यादा जरूरी है और जो ऑप्शन सेलर्स हैं उनके लिए थीटा एक एडवांटेज की तरह काम करता है क्योंकि ऑप्शन सेलर ने कांट्रेक्ट सेल किया है तो ऐसे में जितने टाइम पीरियड के लिए आप उसे कॉन्ट्रैक्ट को अपने पास रखेंगे जो ऑप्शन सेलर है उसको बेनिफिट होता रहेगा और उसको प्रॉफिट मिलता रहेगा अब यहां पर आपको ऑप्शन बायर और ऑप्शन सेलर में बहुत ज्यादा कंफ्यजू होने की जरूरत नहीं है और इसके बारे में ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं है क्योंकि इसके ऊपर भी हम आगे आने वाले पोस्ट में डिटेल में बताएंगे और वहां पर यह सारे पॉइंट्स आपको क्लियर हो जाएंगे तो अब आपको थीटा भी समझ आ गया होगा तो यहां पर भी मेरा आपसे एक क्वेश्चन है
क्वेश्चन यह है अगर मान लीजिए जो Banknifty है वह 50000 पर चल रहा है और आपको लगता है कि Banknifty बढ़ेगा तो आप ₹200 की प्राइस में 50000 का Banknifty का कॉल ऑप्शन Buy कर लेते हैं जिसका जो थीटा है वह 30 का है तो इस केस, में आपको बताना है कि नेक्स्ट डे अगर मान लीजिए बाकी फैक्टर से रहते हैं और Banknifty वहीं का वहीं रहता है तो आपका जो ऑप्शन है उसकी वल्यू में कितना चेंज आएगा और अब जाकर जो ऑप्शन की वल्यू है वह कितनी हो जाएगी मतलब 200 से घटकर वह कितनी होगी या अपने
वेगा क्या है?
वेगा को समझने के लिए मेरा आप से एक सवाल है और वह सवाल यह है कि अगर मान लो आपके पास
एक फ्लटै है जिसकी प्राइस 50 लख रुपए है लेकिन आपके Buy करने के बाद एक न्यज़ू आ जाती है कि जहां पर आपका फ्लटै है उसके पास ही एक मॉल बनने वाला है तो ऐसे में आपको पता है कि अब उसकी जो प्राइस है वह बढ़कर 80 लख रुपए हो गई है तो अब अगर मैं आपको कहूं कि आपके पास जो वह 50 लाख वाला फ्लटै है क्या आप मुझे वह 50 लाख में ही सेल करोगे तो सीधी सी बात है कि आप नहीं करोगे क्योंकि आपको पता है कि अब उसकी जो वल्यू है वह 80 लख रुपए हो चुकी है तो से वेगा भी इसी तरीके से काम करता है जैसे ही किसी कॉन्ट्रैक्ट
की इंप्लायड क्वालिटी इंक्रीज या डिक्रीज होगी वसै ही वेगा किसी एक पार्टिकुलर कॉन्ट्रैक्ट यानी ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट
कि यहां पर मैं बात कर रहा हूं उसकी प्राइस पर अफेक्ट करेगा लाइट वोलटिैटिलिटी बेसिकली एक एसेट जो कि इस केस में ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट है उसकी वोलटिैटिलिटी को शो करता है इंप्लायड वोलटिैटिलिटी के बेसिस पर वेगा ऑप्शंस में कैसे काम करता है चलिए वह भी एक
एग्जांपल से समझ लेते हैं अब बहुत बार हमने bank nifty का एग्जांपल ले
लिया है तो इस बार nifty 50 का एग्जांपल लेते हैं तो मान लीजिए अपने nifty 50 के 20000 का पुट ऑप्शन
बाय किया है ₹100 की प्राइस में और अभी उसके कॉन्ट्रैक्ट की जो इंप्लायड वोलटिैटिलिटी है वह 20 है और उसका
जो वेगा है वह 15 है जसै ही किसी कॉन्ट्रैक्ट की जो इंप्लायड क्वालिटी है वह बढ़ती या घटती है वसै ही वेगा उसकी
प्राइस पर अफेक्ट करता है अब यहां पर आपके मन में क्वेश्चन। आरहा होगा कि इंप्लायड वोलटिैटिलिटी क्या होती है
तो इंप्लायड वोलटिैटिलिटी से हमारा मतलब उसे पार्टिकुलर। एसिड की वाइलेबिलिटी से है जिसके ऊपर वह ऑप्शन
कांट्रैक्ट बेस्ड है जसै अगर आप Nifty 50 का ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट बाय करते हैं तो इस केस में अडंरलाइन एसेट
Nifty 50 है तो इंप्लायड क्वालिटी यह बताता है कि जो Nifty 50 की प्राइस है वह कितनी तेजी से बड़ी या घट
सकती हैतो जितनी ज्यादा एक पार्टिकुलर एसेट की जो वोलटिैटिलिटी है वह बढ़ेगी और घटेगा उतना ज्यादा ही वेगा
उसके ऑप्शन की प्राइस पर अफेक्ट करेगा अभी अफेक्ट कैसे करेगा इसको भी एक एग्जांपल सेसमझ लेते हैं तो
मान लेते हैं कि आपने Nifty 50 के 20000 का पुटऑप्शन बाय किया जिसकी जो प्राइस हैं वह 100रु है
इसकी इंप्लायड वोलटिैटिलिटी 20 है और इसका जो वेगा है वह 15 का है तो अब अगर मान लो उसे पार्टिकुलर एसेट
की जो इंप्लायड क्वालिटी है वह 20 सेबढ़कर 22 हो जाती हैतो इस केस में क्योंकि जो इंप्लायड वोलटिैटिलिटी है
वह 2 पॉइंट से बड़ी है और जो वेगा है वह 15 का है तो ऐसे में जो उसे ऑप्शन की प्राइस है वह ₹30 बढ़ जाएगी और
इसके उल्टेअगर मन को की जो इंप्लायड वोलटिैटिलिटी है वह 20 से घटकर 17 पर आ जाती है तो इस केस में
क्योंकि वेग 15 है तो 3 X15 यानी ₹45 का जो डिक्रीज है वह आपको उसे पार्टिकुलर ऑप्शन की प्राइस में देखने
को मिलेगा तो इस तरीके से वेगा उस पार्टिकुलर एसेट की इंप्लायड क्वालिटी के साथ मिलकर एक पार्टिकुलर
ऑप्शन की प्राइस को इंक्रीज डिक्रीज करता है तो इसलिए किसी भी ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट को बाय करने से पहले
आपको उसका वेगा और उसकी इंप्लायड क्वालिटी जरूर चेक करनी चाहिए अब इनको हम कैसे चेक करते हैं और
इसका एडवांटेज कैसे लेना है यह मैं आपको आगे बताऊंगा तो
गामा और रो क्या है?
अब बात करते हैं हमारे फोर्थ और फिफ्थ ऑप्शन
गामा और रोह जो कि वसै तो इतनी ज्यादा इंपोर्टेंट नहीं है लेकिन क्योंकि फिर भी यह जानते क्या होता हैं
तो यहां पर मैं आपको थोड़ा सा ब्रीफ इन के बारे में देता हूं तो पहले अगर गामा की बात करेंतो आपको याद होगा
कि हमने आपको डेल्टा के बारे में बताया था जो की अडंरलाइन एसेट जसै कि Bank nifty या Nifty 50 में चेंज आने से उस ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट की वल्यू में कितना चेंज आएगा यह हमें बताता है तो वसैही गम हमें डेल्टा में क्या चेंज
आनेवाला है उसके बारे में बताता है क्योंकि आपको पता है कि डेल्टा एक डायनेमि क ग्रीक है यानी वह चेंज होता
रहता है और हर स्ट्राइक प्राइस पर डेल्टा डिफरेंट होता है तो अगर आप Nifty का 19000 का कॉल देखेंगे तो वहां
पर डेल्टा
अलग होगा 19100 का कॉल देखेंगे तो वहांपर डेल्टा अलग होगा तो कौन डिसाइड करता है कि प्राइस पर
कितना डेल्टा चेंज होगा यही हमें गामा बताता है इससे भी एक
एग्जांपल से समझ लेते हैं
मान लो की Nifty50 19000 पर चल रहा है और अपने 100 का कॉल ऑप्शन बाय कर लिया जहां पर जो डेल्टा है वह 0.3 है और जो गामा हैं 0.05 है तो
जसैही Nifty50 19000 से बढ़कर 19100 पर जाएगा तो वहांपर जो डेल्टा है वह भी चेंज होकर
0.30 + 0.05 इस इक्वलटू 0.35 हो जाएगा तो बेसिकली गामा आपको यह बता रहा है कि डेल्टा किस हिसाब से
चेंज होगा अगर आपको यह समझ आ गया हैतो अच्छी बात है
वसै उतना ज्यादा इंपोर्टेंट नहीं है तो चलिए
रो क्या है?
इसी के साथ हमारे लास्ट ऑप्शन ग्रीक रो को भी समझ लेते हैं वसै रो मार्केट में उतना ज्यादा उसे नहीं होता है
क्योंकि रो हमें बेसिकली ऑप्शन प्राइस और इंटरेस्ट रेट्स के रिलेशन को बताता है सिपंल से समझो कि जो कॉल
ऑप्शन है उसमें जो इंटरेस्ट रेट्स होते हैं वह पॉजिटि वली को। रिलेटेड होते हैं यानी अगर इंटरेस्ट रेट्स बढ़ेंगे तो कॉल
ऑप्शन की प्राइस भी बढ़ेगी तो इसलि ए आपको हमेशा कॉल ऑप्शन मेंजो रो है वह पॉजिटि देखनेको मिलेगा
और वही जो पटु ऑप्शन है उसमें जो इंटरेस्ट रेट्स होते हैं वह नेगेटिव को रिलेटेड होते हैं इसलि एजो पुट
ऑप्शन है उसमें आपको रो नेगेटिव देखनेको मिलेगा रो को बस आप इतना समझ लो कि अगर मान लो आपने
कोई कॉल ऑप्शन बाय कर रखा हैऔर गवर्नमर्नट इंटरेस्ट रेट्स बढ़ा देती है तो आपका जो कॉल ऑप्शन है उसकी
जो प्राइस है वह बढ़ जाएगी और इसके उल्टेअगर मनके अपने कॉल ऑप्शन बाय कर रखा है और
इंटरेस्ट रेट्स घटा देती हैतो यहां पर आपका जो ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट है उसकी वल्यू घट जाएगी और अगर आपने
पुट ऑप्शन Buy कर रखा है तो क्योंकि यहां पर इंटरेस्ट रेट्स ने गेटिविटी को रिलेटेड होते हैंऔर वहां पर इंटरेस्ट
रेट बढ़ जाते हैं तो आपके जो ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट की वल्यू है वह घट जाएगी और अगर इंटरेस्ट रेट घट जाते हैं तो
यहां पर आपके जो ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट की वल्यू है वह बढ़ जाएगी तो रो हमें बस इतना ही बताता है और मैने आपको बताया कि रो इतना ज्यादा उसे आपको देखने को नहीं मिलेगा अब हमने सभी ऑप्शन ग्रीक को समझ लिया है
आपके मन में क्वेश्चन आ रहा होगा कि चलो मैं ऑप्शन ग्रीक्स की समझ तो लिया है लेकिन इनको मैं चेक कैसे करूंगा तो इसके लिए एक वेबसाइट है सेंसीबुल