शेयर बजार मे कमाई करने के लिए उपलब्ध विकल्प Options to Make Money in Stock Market

 शेयर बजार मे कमाई करने के लिए उपलब्ध विकल्प Options to Make Money in Stock Market


निवेश (डिलीवरी पर ट्रेडिंग)

स्पेक्युलेशन (इन्ट्राडे और डेरिवेटिव्ह पोजिशन)

हेजिंग और आर्बिट्रेज

मार्जिन फंडिंग

डिविडन्ड की आय


निवेश (Investment)


जो लोग कुछ दिन या महिने या कुछ वर्ष शेअर्स वैसे ही रखने के लिए तैयार होते है उन्हे यह डिलीवरी लेनी पड़ती है। शेअर दलाल के पास से शेअर खरीदन के बाद वह शेअर उनके डिमेट अकाऊंन्ट में जमा होत है। अब वह ईलेक्ट्रॉनिक स्वरूप में होते है और आपको उनका मासिक स्टेटमेन्ट या त्रैमासिक जो आपने निश्चत किया है उस प्रकार से मिलता है। आपको अपने खाते में बचे बॅलेन्स शेअर्स की जानकारी दी जाती है। यह विकल्प उन लोगों के लिए होता है जिन्हें स्वयं के पास कितनी रकम है उसके प्रमाण में अच्छे शेअर्स खरीदकर रखने होते है।


आगे समझ सके उस तरह से डिलिवरी लेना नहीं भूलना चाहिए। हम कोई बीज बोते है और उसकी अच्छी देखभाल की तो आगे चलकर अच्छा फल मिलता है। ठिक वैसे ही शेअर्स के विषय में भी होता है। जिस तरह से पेड़ पर लगे फल का उपयोग ठिक समय पर नहीं किया तो वो सड़ जाता है उसी तरह से हमे Delevery में से मिलनेवाले फायदे को ठिक समय पर अपना प्रॉफिट बुक कर लेना चाहिए 


डिलीवरी लिए हुए शेअर्स का योग्य ट्रेडिंग हुआ तो दिर्घ समय में अच्छा फायदा मिलने की संभावना होती है। जो माल घर में पड़ा है उसका ज्यादा फायदा लेने के लिए बी.टी.एस.टी. और एस.टी.बी.टी. का उपयोग किया जा सकता है।



स्पेक्युलेशन ( Speculation) 


स्पेक्युलेशन ईन्ट्राडे या डेरिवेटिव्ह पोजिशन लेकर किया जा सकता है।


Day Trading - Intraday


ईन्ट्राडे ट्रेडिंग में किसी भी दिन शेअर्स की लेन-देन करके फायदा या नुकसान बुक किया जाता है। उसमें डिलीवरी नहीं ली जाती।


इसका मुख्य हेतू दैनिक उतार-चढ़ाव का फायदा लेना होता है और यह कालावधी एक दिन के लिए ही सीमित हो तो उसे ईन्ट्राडे कहा जाता है। सही अभ्यास और ईन्ट्राडे चार्ट की मदद से ट्रेडिंग की गई तो फायदेमंद हो सकता है। बाकी कैसे भी आडधाड लेन-देन किया तो वह जुगार होता है।


ईन्ट्राडे ट्रेडिंग में फायदा या नुकसान बाज़ार बंद होने से पहले ही बुक किया जाता है। नुकसान होता हो तो उस से बचने के लिए गिनती बिना डिलीवरी लेने की भूल नहीं करनी चाहिए। इस गलती के विषय में आगे विस्तार से चर्चा की है। ईन्ट्राडे नुकसान से बचने की गिनती से डिलीवरी कभी भी नहीं लेनी चाहिए। पर दुर्भाग्य यह है कि ज्यादातर लोग नुकसान होने पर उस से बचा जा सके इस विचार से डिलीवरी लेते है। जो किसी भी हालत में फायदेमंद नहीं है। अपने पास के शेअर्स वैसे ही जमाकर रखना शक्य न हो तो आपको होनेवाला नुकसान बढ़ने की संभावना होती है।


डेरिवेटिव्ह स्पेक्युलेशन (Derivatives - Speculation)


डेरिवेटिव्ह एक ऐसा आर्थिक साधन है जो विविध आर्थिक साधन जैसे कि ईन्डिकेटर, ईन्डेक्स, कमोडिटी आदि के साथ जुड़ा हुआ है और जिससे विविध ईन्स्ट्रुमेन्ट का विविध बाज़ार में ट्रेडिंग हो सकता है। उसका मूल्य उसके मुख्य अन्डरलाईंग ईन्स्टुमेन्ट के भाव पर से निकाला जाता है प्रमुखरूप से दो प्रकार के डेरिवेटिव्हस होते है : फ्युचर्स और ऑप्शन्स।


फ्युचर ( Future )


फ्युचर का ट्रेडिंग दो पक्षों के बिच के समझौते से होता है या वह जो भी माल भविष्य के किसी एक निश्चित समय एक निश्चित भाव से खरीदा जाता है। फ्यूचर्स का कॉन्ट्रॅक्ट विशिष्ट प्रकार के फॉरवर्ड कॉन्ट्रॅक्ट होता है, जिसमें फ्युचर्स कॉन्ट्रॅक्ट एक्सचेन्ज में ट्रेडिंग होने पर स्टॅन्डर्ड कॉन्ट्रॅक्ट कहके गिना जाता है।


फ्युचर की परिभाषा (Futures Terminology)

लॉट साईज (Lot Size)


हर फ्युचर्स कॉन्ट्रॅक्ट की एक निश्चित लॉट साईज होती है।


उदा. रिलायन्स की लॉट साईज फिलहाल ३०० है। इसका अर्थ यह होता है। कि आप रिलायन्स का एक लॉट लेते है तो आपने रिलायन्स के ३०० शेअर्स खरीद लिए ऐसा होता है। किसी भी समय तीन महिनों के कॉन्ट्रॅक्ट ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध होते है। उदा. चालू महिना जनवरी हो तो जनवरी, फरवरी और मार्च ऐसे तीन महिनों के फ्युचर ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध होते थे।


एक्सपायरी (Expiry)


हर फ्युचर्स का लॉट हर महिने के आखरी गुरूवार को एक्सपायर होता है। इसलिए अगर इस दिन से पहले ट्रेडिंग बराबर (स्क्वेअर ऑफ) नहीं किया तो उनका ट्रेडिंग बाज़ार बंद होने से पहले अपने आप ही स्क्वेअर ऑफ हो जाता है।

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